आपका और आपके परिवार का जीवन कैसे खतरे में पड सकता है ?

 मैं अपनी अल्पबुद्धि के द्वारा आज तक नहीँ समझ पाया हूँ कि अपनी शादी की सालगिरह व सालगिरह के दिन दिखाया गया विशेष प्यार,धर्मपत्नी का जन्मदिन,बच्चों के जन्मदिन के प्रदर्शन व कोई इसी प्रकार की निजी पारिवारिक जानकारी लोग फेसबुक पर करके सभी को क्यूं बताना चाहते हैं।बेहतर हो कि  इन खुशी के मौकों पर एक साथ घर पर रहकर परिवार के साथ खुशियां बान्टी  जायें।ज्यादा ही शोहरत चाहिये तो सबको घर पर बुला कर सहभोज किया जा सकता है। क्यों हम लोग अपनी निजता का हनन अपने हाथों से कर रहे हैं।आगे चलकर हमारा ऐसा करना हमारे जीवन को हमारी फैमिली को तबाह कर सकता है ।।जाग जाओ ।।दरअसल हमें अपनी निजता की गरिमा का पता ही नहीं।।डिजीटल मीडीया की चकाचौंध ने हमें अंधा कर दिया है।


आज हम लोग इस आर्टिकल में निजता सम्बन्धित बातें करेंगे।।आप को अच्छा लगे शेयर करना ।।कामैंट करना।।हो सकता है आपके शेयर से निजता हनन के खतरे से किसी की जिंदगी बच जाए परिवार बच जाए।।।

निजता किसी व्यक्ति या समूह से अपने या अपने बारे में जानकारी छुपाने या अलग रखने की क्षमता है। इस प्रकार वह व्यक्ति उस जानकारी को अपने अनुसार ही सिर्फ चुनिंदा लोगों से ही व्यक्त करता है। किसे निजी रखें या न रखें, ये काफी हद तक लोगों के संस्कृति पर निर्भर करती है। हालांकि कई ऐसी जानकारी होती हैं, जिसे सभी निजी जानकारी के रूप में मानते हैं। यदि किसी व्यक्ति के लिए कुछ निजी होता है तो उसका अर्थ स्वाभाविक रूप से विशेष या संवेदनशील जानकारी से होता है परंतु यह अधिकार आत्यंतिक नहीं होता उसे गोपनीय रखना दूसरे व्यक्ति के जानने के अधिकार का उल्लघंन होता है जैसे यदि कोई एड्स पेडित है वह किसी महिला से विवाह करना चाहता है तो उस रोगी का यह दायित्व है कि वह उस महिला को बताए क्योंकि विवाह के उपरांत महिला के जीवन को खतरा उत्पन्न हो सकता है ।

निजता का अधिकार, स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीने के अन्य मौलिक अधिकारों के सहचर्य में लोकतंत्र को मज़बूत बनाएगा। निजता की श्रेणी तय करते हुए न्यायालय ने कहा कि निजता के अधिकार में व्यक्तिगत रुझान और पसंद को सम्मान देना, पारिवारिक जीवन की पवित्रता, शादी करने का फैसला, बच्चे पैदा करने का निर्णय, जैसी बातें शामिल हैं।

निजता के अधिकार की ज़रूरत क्यों?

निजता का अधिकार,वह अधिकार है जो किसी व्यक्ति की स्वायतत्ता और गरिमा की रक्षा के लिए बहुत ज़रूरी है। वास्तव में यह कई अन्य महत्वपूर्ण अधिकारों की आधारशिला है।

दरअसल, निजता का अधिकार हमारे लिए एक आवरण की तरह है, जो हमारे जीवन में होने वाले अनावश्यक और अनुचित हस्तक्षेप से हमें बचाता है।

यह हमें अवगत कराता है कि हमारी सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक हैसियत क्या है और हम स्वयं को दुनिया से किस हद तक बांटना चाहते हैं। वह निजता ही है, जो हमें यह निर्णित करने का अधिकार देती है कि हमारे शरीर पर किसका अधिकार है?

आधुनिक समाज में निजता का महत्व और भी बढ़ जाता है। फ्रांस की क्रांति के बाद समूची दुनिया से निरंकुश राजतंत्र की विदाई शुरू हो गई और समानता, मानवता और आधुनिकता के सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित लोकतंत्र ने पैर पसारना शुरू कर दिया।

तकनीक और अधिकारों के बीच हमेशा से टकराव होते आया है और 21वीं शताब्दी में तो तकनीकी विकास अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। ऐसे में निजता को राज्य की नीतियों और तकनीकी उन्नयन की दोहरी मार झेलनी पड़ी।

आज हम सभी स्मार्टफोन्स का प्रयोग करते हैं, चाहे एप्पल का आईओएस हो या गूगल का एंड्राइड या फिर कोई अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम, जब हम कोई भी एप्प डाउनलोड करते हैं, तो यह हमारे फोन के कॉन्टेक्ट, गैलरी और स्टोरेज़ आदि के प्रयोग की इज़ाज़त मांगता है और इसके बाद ही वह एप्प डाउनलोड किया जा सकता है।

कितने देशों में इस तरह के कानून पहले से हैं 

1. फ्रांस 

फ्रांस में 1978 में यह अधिनियम (निजता का अधिकार) लाया गया था। इसके बाद इसमें वर्ष 2008 में संशोधन किया गया। डाटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत यहां पर निजता का अधिकार काफी अहम माना जाता है। इसके तहत किसी व्यक्ति की निजी जानकारी को एकत्रित कराने का मकसद उस व्यक्ति की पहचान कराना है।

2 जर्मनी 

जर्मनी में निजता के अधिकार को लेकर प्रावधान एकदम अलग हैं। यहां प्राइवेसी के तौर पर किसी व्यक्ति के डाटा कलेक्शन करने पर पूरी तरह से पाबंदी है। यदि फिर भी किसी को बहुत ज़रूरी जानकारी चाहिए, तो वह कानूनी अधिकार लेकर जानकारी हासिल कर सकता है।

3. जापान  

निजता को लेकर जापान बहुत ज़्यादा सजग है। यहां किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी की सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत संरक्षण नियम लागू किया गया है। जापान में केवल वही जानकारी ली जा सकती है, जो सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराई जा सकती है।

ऐसे में यह खतरा है कि यदि किसी गैर-अधिकृत व्यक्ति ने उस एप के डाटाबेस में सेंध लगा दी, तो उपयोगकर्ताओं की निजता खतरे में पड़ सकती है।

तकनीक के माध्यम से निजता में दखल, राज्य की दखलंदाज़ी से कम गंभीर है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि तकनीक का उपयोग करना हमारी इच्छा पर निर्भर है, किन्तु राज्य प्रायः निजता के उल्लंघन में लोगों की इच्छा की परवाह नहीं करता।

आप को अच्छा लगे शेयर करना ।।कामैंट करना।।हो सकता है आपके शेयर से निजता हनन के खतरे से किसी की जिंदगी बच जाए परिवार बच जाए।।।

धन्यवाद 

जय धुनना

+917988202029


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